NATO का फुल फॉर्म है - North Atlantic Treaty Organisation. उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन
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किसी को बहुत ही जल्दी कोई मैसेज भेजना हो तो I don't know के स्थान पर सिर्फ ये तीन शब्द idk लिख कर SMS कर देते हैं।
कई बार तो लोग idk का उपयोग ऐसे साथियों, परिवार के लोगों को मैसेज भेजने में कर लेते हैं जो सोशल मीडिया की इस मैं भाषा से परिचित नहीं होते हैं।
इसलिए ऐसे abbreviations या संक्षिप शब्द इस्तेमाल सोच-समझ कर करें।
NTE यह शब्द वैसे तो नया प्रतीत होता है लेकिन इसका संबंध night culture रात्रिकालीन संस्कृति से है।
अभी यह शब्द सुर्खियों में है। कारण कि हैदराबाद शहर (तेलंगाना) NTE लागू करने की तैयारी के बिलकुल करीब है। यदि ऐसा होता है तो हैदराबाद अधिकृत रूप से चौबीसों घंटे खुला रहने वाला देश का पहला शहर बन जाएगा।
अधिकृत रूप से इसलिए कि मुंबई, दिल्ली और कई अन्य बड़े शहरों में पहले से ही पब, बार, मनोरंजन क्लब, रेस्टोरेंट आदि देर रात तक खुले रहते है।
अब नाइट कल्चर के आर्थिक लाभ देखते हुए हैदराबाद इसे अपनाने की दिशा में पहल कर रही है।
राज्य सरकार NTE लागू होने के बाद रात में होने वाली गतिविधियों पर नजर रखने, उनका मार्गदर्शन करने अवैध कामों पर अंकुश लगाने के लिए NTEA Night Time Economy Authority बनाने के भी अंतिम चरण में है।
NTEA - Night Economy Authority
NTEA के तहत नियुक्त रात्रिकालीन अधिकारी स्थानीय लोगों की सुरक्षा, आराम, स्वास्थ्य जैसे सुविधाओं में बाधा न होने देना, पर्यटकों की समस्याओं का निराकरण, वाहनों के परिवहन, अनावश्यक शोरगुल, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों, मनोरंजन केंद्रों की सभी गतिविधियों आदि जैसे मुद्दों पर सतत निगरानी रखेंगे।
हैदराबाद में प्रस्तावित योजना के परिणामस्वरूप आईटी और स्वास्थ्य सेवा से लेकर खुदरा (ग्रॉसरी ) और मनोरंजन के क्षेत्रों में वृद्धि होगी
पूर्व में 2023 में, राज्य सरकार ने दुकानों और कार्यालयों को 24/7 संचालित करने की अनुमति देने के लिए इसी तरह की पहल करने का प्रयास किया थ
Nte हेतु कड़े नियम और नियंत्रण इसे सफल बना सकते हैं।
हैदराबाद की NTE सिर्फ क्लब तक न सीमित रह कर, ग्रॉसरी, हॉस्पिटल IT सर्विसेज, पर्यटन साहित्यिक संगोष्ठियों, संगीत कार्यक्रम तक विस्तारित की जाएगी।
नाइट कल्चर क्या है ?
वैसे तो नाइट कल्चर का चलन सदियों पहले कई पश्चिमी देशों में शुरू हुआ था। एम्स्टर्डम की सफल नाइट मेयर योजना से प्रेरित न्यूयॉर्क, लंदन, बर्लिन जैसे वैश्विक महानगरों में नाइट कल्चर नागरिकों और प्रशासन के लिए फायदेमंद साबित हुआ। इसके आर्थिक लाभ के कारण अब यह अन्य देशों में भी लोकप्रिय हो रहा है। भारत के भी अनेक शहरों में यह पहले से है जैसे मुंबई में क्लब, रेस्टोरेंट ग्रॉसरी स्टोर्स, शराब की दुकानें रात 2 बजे के बाद तक भी खुली रहती हैं।
NTE का अर्थव्यवस्था में योगदान-
अर्थशास्त्री मानते हैं कि NTE तेलंगाना राज्य की अर्थव्यवस्था में बड़ा और सकारात्मक परिवर्तन लाने में सक्षम है। नए रोजगार निर्मित होंगे। पर्यटकों से स्थानीय निकायों की आय में वृद्धि होगी
NTE हैदराबाद में सफल रहा तो tier 2 वाले शहर इंदौर, अहमदाबाद जैसी जगहों की स्थानीय सरकार भी इसे लागू करने में देर नहीं लगाएगी क्योंकि इससे नए रोजगार पैदा होने के साथ, निगमों की आय में बढ़ोतरी निश्चित है।
जनता की सहमति, और सहभागिता इस नई संस्कृति युक्त विचारधारा को फलने फूलने में सहयोग करेगी।
रात्रि कालीन संस्कृति के पक्ष और विपक्ष में तर्क दिए जा रहे हैं। कुछ लोग इसे आर्थिक विकास में सहायक मानते हैं तो इसका विरोध करने वाले रात को नशेड़ियों द्वारा हुडदंग करने का अंदेशा जताते हैं।
फिलहाल एक रिपोर्ट के अनुसार nte व्यवसाय 8500 करोड़ का है यह आंकड़ा 2032 तक तीन गुना होकर 26000 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।
नाइट टाइम इकोनॉमी से आर्थिक लाभ मिलना तय है लेकिन इसके सामाजिक पहलू और नागरिकों की सुरक्षा व्यवस्था पुलिस, स्थानीय प्रशासन व राज्य-केंद्र सरकार के लिए एक चुनौतीपूर्ण काम होगा।
बिहार में इन दिनों चुनाव आयोग SIR अभियान चला रहा है।
चुनाव कार्य कर रहे BLO पिछले कई दिनों से घर-घर जाकर मतदाताओं के नामों का वेरिफिकेशन कर रहे हैं। इस अभियान को SIR नाम दिया गया है। इसके तहत कितने लोग अवैध रूप से रह रहे हैं, पता चलेगा।
अभी तक के सर्च रिपोर्ट में मतदाता सूची में हजारों बांग्लादेशी, नेपाली, म्यांमार के लोग पहचाने जा चुके हैं।
अभी तक 80 फीसदी से अधिक मतदाताओं ने अपने बारे में आवश्यक जानकारी यानी नाम, पता, जन्मतिथि, आधार नंबर, वोटर पहचान पत्र नंबर सहित दर्ज कर फॉर्म जमा कर दिए हैं।
हालांकि आयोग ने इस काम के लिए अंतिम तिथि 25 जुलाई तय की हुई है. लेकिन उम्मीद है कि तय समय सीमा से पहले ही ये काम पूरा हो जाएगा।
हिंदी में इसे " विशिष्ठ पहचान संख्या कहा जाता है।
इसका संबंध कर्मचारी भविष्य निधि अर्थात Employee's Providend Fund (EPF) से है। UAN में कुल 12 अंकों की एक संख्या होती है।
भारत में जितने भी नियमित वेतनभोगी कर्मचारी हैं जिनकी तनख्वाह से हर माह कुछ निश्चित राशि नियोक्ता द्वारा उसके भविष्य निधि खाते में जमा की जाती है, उन्हें अपने इस खाते के परिचालन हेतु यह नंबर आवंटित किया जाता है।
ABVP की स्थापना 9 जुलाई 1949 को हुई थी। यह भारत का सबसे बड़ा छात्र संगठन है।
एबीवीपी का कार्यक्षेत्र - इस संगठन का मुख्य कार्यक्षेत्र देश के कॉलेज है जहां यह छात्रों के हित और उनके बेहतर भविष्य हेतु कार्य करता है।
उद्देश्य- ABVP बनाने के पीछे शिक्षा पद्धति को छात्रों के भविष्य निर्माण के अनुकूल बनाना, छात्रों को रचनात्मक गतिविधियों में लगाना और सामाजिक हित में कार्य करना।
एबीवीपी की गतिविधियां - एबीवीपी समय-समय पर छात्रों के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेलकूद प्रतियोगिताएं एवं केरियर मार्गदर्शन जैसे कार्यक्रम आयोजित करती है। साथ ही देश में आपदाग्रस्त क्षेत्र में नागरिकों की सुरक्षा और सहायता आदि मुहैया कराती है।
हिंदी में इसे वायु गुणवत्ता सूचकांक कहा जाता है। AQI शून्य से 500 तक हो सकता है। हवा जितनी ज्यादा प्रदूषित होगी, AQI उतना अधिक होगा।
वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 17 सितंबर, 2014 को स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत देश की राजधानी नई दिल्ली में आरम्भ किया गया था।
एक्यूआई लेवल 50 से कम होने पर हवा को शुद्ध माना जाता है। एक्यूआई यदि लंबी अवधि तक येलो जोन में बना रहे तो सेंसेटिव लोगों को बहुत परेशानी हो सकती है।
300 से ज्यादा एक्यूआई रेड जोन माना जाता है। इस जोन में रहने से इंसान के स्वास्थ्य पर बहुत अधिक बुरा प्रभाव पड़ता है।
BRICS की स्थापना सन् 2009 में हुई थी। BRIC नाम गोल्डमैन सैक्स के एक अर्थशास्त्री जिम ओ'नील ने दिया था। इसका मुख्यालय चीन की राजधानी शंघाई में है।
सोवियत संघ के पतन के बाद पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पाश्चात्य देशों खासकर अमेरिका का वर्चस्व और बढ़ गया। इन देशों के दबदबे को कम करने के लिए ब्राजील, रुस, भारत और चीन ने मिलकर BRIC बनाया जो अब BRICS है।
सन् 2023 में इसमें ईरान, मिस्र, इथियोपिया, यूएई, सऊदी अरब, इंडोनेशिया भी शामिल किए गए।
BRICS के समस्त ग्यारह देश विश्व की कुल आबादी का 45% हिस्सा हैं।
BRICS देशों द्वारा अमेरिकी डॉलर की जगह लोकल करंसी में व्यापार करने के लिए एक नया पैमेंट सिस्टम बनाने का प्रयास चल रहा है। BRICS देश मिलकर अपनी स्वयं की करंसी UNIT शुरू करने की योजना बना रहे हैं।
अभी पूरी दुनिया का लगभग 80% व्यापार अमेरिकन डॉलर में होता है। BRICS ने यदि नई करंसी का उपयोग शुरू कर दिया तो डॉलर बहुत कमजोर पड़ जाएगा।
इसीलिए अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने तो धमकी दी है कि यदि ब्रिक्स देशों ने अमेरिकी डॉलर के स्थान पर किसी अन्य करंसी में ट्रेड करना शुरू किया तो अमेरिका उन पर 100% टैरिफ लगाएगा।