CAG भारत की संवैधानिक संस्था है। कैग का नाम अक्सर अख़बारों में आता रहता है।
प्रसिद्ध कोयला खदान आंवटन व 2G स्पेक्ट्रम आंवटन घोटाले का पता लगाने में CAG का सबसे बड़ा हाथ था। CAG ने ही वर्ष 2012-13 से 2017-18 की अवधि में UPA व NDA के कार्यकाल के दौरान रक्षा क्षेत्र में खरीद के 32 ऑफसेट कांट्रेक्ट का ऑडिट किया है। इसमें थलसेना,नौसेना और वायुसेना के लिए खरीदे गए रक्षा उपकरणों के सौदे शामिल हैं।
प्रसिद्ध कोयला खदान आंवटन व 2G स्पेक्ट्रम आंवटन घोटाले का पता लगाने में CAG का सबसे बड़ा हाथ था। CAG ने ही वर्ष 2012-13 से 2017-18 की अवधि में UPA व NDA के कार्यकाल के दौरान रक्षा क्षेत्र में खरीद के 32 ऑफसेट कांट्रेक्ट का ऑडिट किया है। इसमें थलसेना,नौसेना और वायुसेना के लिए खरीदे गए रक्षा उपकरणों के सौदे शामिल हैं।
CAG का फुल फॉर्म :-
Comptroller and Auditor General का संक्षिप्त रूप है CAG जिसे हिंदी में भारत का "नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक" कहते हैं।
कैग CAG भारत के संविधान के अनुच्छेद 148 द्वारा स्थापित एक संस्था है जो भारत सरकार,सभी राज्य सरकार और सरकारी पूंजी से बने सभी सार्वजनिक उपक्रम व संस्थाओं के वित्तीय लेखों का अंकेक्षण audit करता है। कैग के ऑडिट व एकाउंट्स विभाग में कुल 57000 कर्मचारी काम करते हैं। इसका मुख्यालय दिल्ली है। CAG पूरी तरह से एक स्वतन्त्र संस्था है,जिस पर केंद्र सरकार का नियंत्रण नहीं होता। CAG की रिपोर्ट पर संसद की लोकलेखा समिति (PAC) और सार्वजनिक उपक्रमों की समिति विचार करती है।
CAG के सर्वोच्च अधिकारी को भी CAG कैग ही कहा जाता है।
CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
CAG से संबद्ध व्यवस्थाएं हमारे संविधान के अनुच्छेद 148 से 151 तक की गई है। देश के वरीयता अनुक्रम में CAG का स्थान नौवां है जो सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश के बराबर है। कैग का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की उम्र,जो भी पहले हो,की अवधि के लिए होता है। CAG को उसके पद से केवल उसी रीति से और उन्हीं आधारों पर हटाया जा सकता है, जिस रीति से और जिन आधारों पर सुप्रीम कोर्ट के जज को हटाया जाता है। अपने पद से हटाये जाने के पश्चात् वह केंद्र सरकार के या किसी राज्य सरकार के अधीन किसी और पद का पात्र नहीं होगा।
डॉ अम्बेडकर ने CAG के बारे में कहा था - "मेरे विचार से कैग भारत की शासन व्यवस्था में सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी होगा।
जैसा ऊपर भी लिखा गया है कि संविधान ने कैग CAG को सुप्रीम कोर्ट के जजों की भांति हर संभव अधिकार दिए हैं।
लेकिन अब धीरे-धीरे केंद्र ही नहीं राज्य सरकारें भी इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक करने से बचने लगी हैं।
7 जनवरी 2008 से 22 मई 2013 तक भारत के 11 वें नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक रहे श्री विनोद राय के बारे में आपको न बताया जाए तो CAG से संबंधित सभी जानकारी अर्थहीन है। UPA सरकार के समय हुए 2G स्पेक्ट्रम घोटाला व कोयला घोटाला श्री विनोद राय ने ही उजागर किया था। इसके बाद CAG का नाम लोगों की जबान पर चढ़ गया।
श्री विनोद राय की आत्मकथा "NOT JUST AN ACCOUNTANT" पुस्तक पढ़ने लायक है। यदि कोई इस पुस्तक को पढ़ना चाहे तो अमेजॉन और किंडल पर यह उपलब्ध है।
आशा है, आपको CAG के बारे में यह जानकारी पसंद आई होगी। यदि आप ED प्रवर्तन निदेशालय यानि Enforcement Directorate के बारे में जानना चाहते हैं तो इससे संबंधित पोस्ट पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिककरिए ~ http://togetfullforms.blogspot.com/2018/10/full-form-of-ed-in-hindi.html