शनिवार, 8 जून 2019

Full form of NDA in Hindi

NDA का अर्थ है: नेशनल डेमोक्रेटिक अलाइंस National Democratic Alliance

1998 में भारतीय जनता पार्टी की 38 सहयोगी पार्टियों को मिला कर NDA बना। सबसे पहले 1998 में श्री अटलबिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में NDA सरकार बनी। लेकिन यह केवल 13 माह तक ही चल पाई। 1999 में व 2014 मेंं एनडीए सरकार ने अपना कार्यकाल पूूूरा किया । अभी 2019 के आम चुनाव में BJP को भारी बहुमत मिला और BJP विश्व का सबसे बड़ा राजनीतिक दल बन गया। BJP ने अपने सभी 38 सहयोगी दलों के साथ  मिलकर केंद्र में सरकार बनाई।

NDA के घटक दल  :-

NDA के सहयोगी दलों की सूची नीचे दी जा रही है :

1. शिवसेना
2. लोक जन शक्ति पार्टी- लोजपा
3. अकाली दल
4.जनता दल यूनाइटेड- जदयू
5.आल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम-AIADMK
6.देसिया मुरपोक्कु द्रविड़ कषगम- डीएमडीके
7. अपना दल एस
8. पट्टालि मक्कल काची
9. रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (रामदास अठावले )
10. बोडालैंड पीपुल्स फ्रंट (असम )
11. नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी(नागालैंड )
12. MNF मिज़ो नेशनल फ्रंट
13. JSS
14. राष्ट्रीय समाज पार्टी
15. शिव संग्राम
16. महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी
17. आल इंडिया N R कांग्रेस
18. इंडिजिन्स पीपुल्स फ्रंट ओ त्रिपुरा
19. MPP
20. KPP
21. JKPF
22. यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी
23. HSPDP
24. केरल कांग्रेस (थॉमस )
25. भारत धर्म जनसेना -केरल
26. PSP
27. JRS
28. KVC
29. PNP
30. केरल कांग्रेस एन
31. PDF
32. असम गण परिषद
33. SBSP
34. आल इंडिया झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन
35. गोआ फॉरवर्ड पार्टी
36. GVP
37. राष्ट्रीय लोक समता पार्टी
38. KPJP
अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी के समय के NDA के सहयोगी दल अब अस्तित्व में भी नहीं है। असल NDA और आज के NDA के सहयोगी दलों की सूची में बहुत अंतर है।

नोटा का फुल फॉर्म

NOTA बटन का लोगो
नोटा शब्द का अर्थ है : None Of The Above
"नन ऑफ़ द अबोव" यानि कि "इनमें से कोई नहीं"

आजकल चुनाव में राजनीतिक दल के उम्मीदवारों के अलावा वोटर को एक और विकल्प उपलब्ध कराया गया है NOTA नोटा। नोटा मतलब "इनमें से कोई नहीं"। जब चुनाव लड़ रहे विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवारों में से कोई भी उम्मीदवार वोटर को पसंद नहीं आता है ,उस स्थिति में वोटर नोटा बटन का इस्तेमाल कर सकता है।
नोटा का उपयोग सबसे पहले 2009 में किया गया। स्थानीय निकाय चुनाव में  मतदाताओं को नोटा विकल्प उपलब्ध कराने वाला छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य बना। इसके बाद एक NGO "पीपल यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज" नोटा के समर्थन में  सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की। जिस  पर सन् 2013 में चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन EVM में नोटा बटन लगाने के आदेश दिए। फिर सन् 2013 मेंं नोटा बटन को  पूरे देेेश में लागू हुुुआ।
  मशीन में NOTA का बटन गुलाबी रंग का होता है।

वोटों की गिनती के समय नोटा को मिले वोटों को भी गिना जाता है। नोटा को मिले वोटों को निरस्त वोट की श्रेणी में रखा जाता है।

नोटा बटन की जरूरत क्यों पड़ी ?

जब नोटा सुविधा नहीं थी तब वोटर चुनाव में खड़े उम्मीदवारों से निराश हो कर मतदान नहीं करके अपना गुस्सा प्रकट करता था। लेकिन जब वोटों की गिनती होती थी तो सर्वाधिक वोट पाने वाला उम्मीदवार विजयी बन जाता था। इस तरह वोट न देने वाले मतदाता का गुस्सा ओर वोट दोनों बेकार हो जाते थे। इसके समाधान के लिए नोटा बटन का विकल्प शामिल किया गया।
 यदि नोटा को सर्वाधिक मत पाने वाले उम्मीदवार से अधिक मत मिल जाते हैं तो भी वही उम्मीदवार विजयी माना जायेगा।लोकसभा, विधानसभा ओर नगर निकाय चुनावों में नोटा का प्रयोग लगातार बढ़ता जा रहा है। लेकिन चुनाव परिणाम पर इसका प्रभाव न होने से कई देशों ने इसको हटा दिया। रूस ने 2006 में नोटा को हटा दिया। पाकिस्तान में भी पहले नोटा का प्रावधान था पर 2013 के बाद इसे हटा दिया गया।
जानकारों के अनुसार जनप्रतिनिधत्व कानून1951 में संशोधन करके यह प्रावधान किया जाय कि यदि किसी चुनाव में नोटा को बहुमत मिलता है तो चुनाव रद्द करने के साथ अन्य उम्मीदवारों को कुछ वर्ष तक चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया जाये।

भारत, ग्रीस, यूक्रेन, स्पेन और कोलंबिया में नोटा व्यवस्था मौजूद है।