सोमवार, 2 सितंबर 2019

Full Form of MNF in Hindi

MNF यानि MIZO National Front मिजोरम में एक छोटी क्षेत्रीय पार्टी है।वर्तमान में इसके अध्यक्ष जोरमथंगा हैं जो राज्य के मुख्यमंत्री भी हैं। 

वर्ष 2018 से पहले MNF राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में शामिल हुई थी लेकिन 2018 में यह उससे अलग हो गई। MNF के संस्थापक पी लालडेंगा थे।
                               पी लालडेंगा
MNF पार्टी का उद्भव किस प्रकार हुआ इसकी कहानी बांस की एक स्थानीय प्रजाति से जुड़ी है। इस प्रजाति के बांस में 50 सालों में एक बार फूल आते हैं।
मिजोरम की आबादी 2011 की जनगण35ना के अनुसार 10.9 लाख है। यह देश में दूसरा सबसे कम आबादी वाला राज्य है।राज्य में 91% वनक्षेत्र है। राज्य में बड़े क्षेत्र में बांस उगाया जाता है।यहां बांस की एक प्रजाति मेलोकन्ना बैक्सीफोरा पायी जाती है।बांस की इस प्रजाति में हर 50 साल में एक बार फूल आते हैं। माना जाता है कि बड़ी संख्या में चूहे इन फूलों के बीज खाने के लिए आते हैं। कुछ ही समय में इनकी तादाद कई गुना हो जाती है। जब बीज खत्म हो जाते हैं तो चूहे अनाज के खेतों व गोदामों में घुस जाते हैं।राज्य में 1959 में इसी कारण अकाल पड़ गया। केंद्र सरकार ने भरपूर सहायता की लेकिन राज्य में केंद्र के प्रति असंतोष फैल गया। वर्ष 1959 में मिजोरम असम राज्य का हिस्सा था।असम सरकार के एक पूर्व कर्मचारी ने लोगों की मदद शुरू की। उसने मिजो फेमिन फ्रंट बना कर सरकार से राहत सामग्री आने पर राज्य में चावल और अन्य जिंसों के वितरण में अथक मेहनत की।इसका असर यह हुआ कि फ्रंट की लोकप्रियता बढ़ गई।वर्ष1961 में इसे मिजो नेशनल फ्रंट MNF के रूप में बदल दिया गया। फिर फ्रंट व केंद्र सरकार में टकराव बढ़ गया। फ्रंट ने केंद्र के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया।आंदोलन ने विद्रोह का स्वरूप ले लिया। मजबूरन सरकार को वहां सेना भेजना पड़ी। आंदोलन करीब दो दशक चला। खून-खराबे में हजारों मारे गए। आंदोलन चरम पर पहुंच गया।इसने अब अलगाववादी रूप ले लिया। फ्रंट के लोगों ने मिजोरम के प्रमुख शहर लुंगलेह पर अधिकार कर लिया और भारत से अलग होने की घोषणा कर डाली। तब भारत सरकार ने राज्य में वायुसेना की मदद ली। विद्रोहियों को जंगल मे भागना पड़ा। सन् 1986 में जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे,फ्रंट ने केंद्र के साथ शांति समझौता किया जिसमें जी पार्थसारथी ने अहम भूमिका निभाई। मिजोरम को राज्य घोषित किया गया।वहां चुनाव हुए विद्रोही नेता  पी लालडेंगा राज्य का मुख्यमंत्री बन गया।
यह सरकार लंबे समय तक नहीं चल पाई। लालडेंगा की मृत्यु के बाद जोरमथंगा  MNF पार्टी के अध्यक्ष बने।सन् 1998 में इनके नेतृत्व में पार्टी फिर सत्ता में आई और 10 साल तक सत्ता संभाली।
                                 जोरमथंगा
 MNF 2008 में चुनाव हार गई। तब कांग्रेस ने 40 में से 32 सीटें जीती।MNF केवल 3 सीट जीत पाई।सन् 2013 में राज्य में फिर से 34 सीटें जीत कर कांग्रेस ने सरकार बनाई।MNF सिर्फ 5 सीट हासिल कर पाई।
दिसंबर 2018 में फिर से बहुमत के साथ MNF ने  मुख्यमंत्री जोरमथंगा की अगुवाई में राज्य की कमान संभाली है।

संदर्भ : विकिपीडिया
          : आलेख - श्री टी ई नरसिम्हन (बिजनेस स्टैंडर्ड  13 दिसंबर 2018 )

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