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सोमवार, 5 सितंबर 2022
गुरुवार, 21 जुलाई 2022
Full form of LPG, CNG, LNG & PNG in Hindi
LPG का फुल फार्म - Liquified Petroleum Gas
LNG का फुल फार्म - Liquified Natural Gas
PNG का फुल फार्म- Pipelined Natural Gas
CNG गैस को हिंदी में संपीडित गैस कहते हैं। CNG में मुख्य रूप से मीथेन गैस होती है। मीथेन को जब बहुत अधिक दाब के साथ संग्रहित किया जाता है तो वह CNG कहलाती है। CNG का उपयोग रिक्शा चलाने में किया जा रहा है। यह एलपीजी गैस के मुकाबले अधिक सुरक्षित है। क्योंकि CNG हवा से काफी हल्की होती है। यदि वह लीक होती है तो फौरन हवा में मिल जाती है। इसके अलावा CNG दूसरी गैसों की अपेक्षा हानिकारक गैसों का उत्सर्जन कम मात्रा में करती है। एक अनुमान के अनुसार पेट्रोल वाहनों में CNG इस्तेमाल करने से 56% ईधन खर्च बचता है वहीं डीजल वाहनों में CNG का इस्तेमाल करने से 32 % ईधन खर्च में कमी आती है। भविष्य में CNG का प्रयोग लगातार बढ़ने की आशा है।
LPG फुल फार्म - LPG का फुल फार्म लिक्विफाईड पेट्रोलियम गैस है। पेट्रोल का उत्पादन करते समय LPG एक बाय- प्रोडक्ट के रूप में प्राप्त होती है। यह हवा से भारी होती है व इसके संपर्क में आते ही तुरंत आग पकड़ती है, इसलिए हम अक्सर LPG गैस सिलेंडर में विस्फोट और आग लगने की खबरें सुनते हैं।
LNG फुल फार्म- LNG का फुल फार्म लिक्विफाईड नेचुरल गैस है। हिंदी में इसे द्रवीकृत प्राकृतिक गैस कहते हैं। LNG एक प्रकार से मीथेन गैस ही है जिसे लगभग -260 डिग्री फेरनहाइट तक ठंडा किया जाता है जिससे इसका घनत्व सिकुड़ कर काफी कम हो जाता है ताकि इसको स्टोर करने व ट्रांसपोर्टेशन में आसानी हो।
PNG फुल फार्म - PNG का फुल फार्म Pipelined Natural Gas पाइपलाईंड नेचुरल गैस है। यह CNG गैस ही है। बस दोनों में इतना अंतर है कि पाइपलाईंड नेचुरल गैस की सप्लाय घरों में ईंधन के रूप में पाइप द्वारा की जाती है।
शुक्रवार, 8 जुलाई 2022
Full form of PIN code in Hindi
PIN Code छः अंकों की नम्बर प्रणाली है जो भारतीय डाक विभाग द्वारा प्रयोग की जाती है।
भारत के डाक विभाग में पिन कोड प्रणाली की शुरुआत कब की गई ?
भारत में डाक वितरण करने वाले अनेक डाक घर हैं। डाक घरों को बहुत ज्यादा संख्या में प्रतिदिन डाक प्राप्त होती है। डाक की छंटाई में आसानी हो इसके लिए 15 अगस्त 1972 को पिन कोड की शुरुआत की गई।
पिन कोड के छः अंकों में से पहला अंक किसी विशेष राज्य या क्षेत्र को दर्शाता है। दूसरा अंक उपक्षेत्र या पोस्टल सर्कल को बताता है। तीसरा अंक राज्य के जिले को इंगित करता है। अंतिम तीन अंक उस विशेष पोस्ट ऑफिस को दर्शाता है जहां पत्र का वितरण होना है। नीचे विभिन्न राज्यों के PIN CODE इंगित करता हुआ भारत का नक्शा दिया गया है।
यहां एक तालिका दी गई है जिसमें 1 से 8 तक नम्बर से सम्बंधित क्षेत्र और राज्य दर्शाये गए हैं।
1. उत्तरी दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश।
2 .उत्तरी उत्तर प्रदेश,और उत्तराखंड।
3. पश्चिमी राजस्थान और गुजरात।
4. पश्चिमी छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और मप्र।
5. दक्षिणी आंध्र प्रदेश और कर्नाटक।
6. दक्षिणी केरल एवं तमिलनाडु।
7. पूर्वी प. बंगाल और ओडिशा।
8. पूर्वी बिहार और झारखण्ड।
9. आर्मी पोस्टल सेवा।
राज्यों के पिन कोड
अब हम पिन कोड के शुरू के दो नंबरों के बारे में जानते हैं। 11 नंबर दिल्ली का है, 12-13 हरियाणा, 14-16 पंजाब, 17 हिमाचल प्रदेश, 18 और 19 जम्मू और काश्मीर, 20-28 उत्तर प्रदेश और उत्तरांचल के लिए, 30-34 राजस्थान, 36-39 गुजरात, 40-44 महाराष्ट्र, 45-49 मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़, 50-53 आंध्र प्रदेश, 56-59 कर्नाटक, 60-64 तमिलनाड़ु, 67-69 केरल, 70-74 बंगाल, 75-77 ओडिशा, 78 असम, 79 नॉर्थ ईस्टर्न इलाके, 80-85 बिहार और झारखंड, 90-99 आर्मी पोस्टल सर्विसेज।
पिन कोड के अगले 3 डिजिट उस क्षेत्र की जानकारी देते हैं जहां आपका सामान पहुंचना है। इसका मतलब है उस ऑफिस में जहां आपका सामान जाएगा। एक बार आपका सामान सही पोस्ट ऑफिस तक पहुंच गया तो वहां से यह आपके घर तक पहुंचाया जाता है।
आज के जमाने में सभी लोग ई मेल से पत्र व्यवहार करते हैं इसलिए चिट्ठी का महत्व कम हो गया है और उसके साथ ही पिन कोड का भी। पर फिर भी पिन कोड तो सदा ही अस्तित्व में रहेगा।