रविवार, 30 अक्टूबर 2016

Full form of MFN in Hindi

 

   MFN - Most Favoured Nation
MFN का अर्थ है - अति महत्वपूर्ण देश
                           - वरीयता प्राप्त देश
अमेरिका में MFN को Permanent normal trade relations के नाम से जाना जाता है।
MFN का उपरोक्त अर्थ केवल व्यापारिक सम्बन्धों तक के सन्दर्भ में सीमित है।
कोई देश किसी अन्य देश को जब MFN का दर्जा देता है तो इसका अर्थ है कि MFN दर्जा प्राप्त देश और उस देश के साथ व्यापारिक सम्बन्ध काफी सुदृढ़ हैं। MFN दर्ज प्राप्त देश को अन्य देशों के मुकाबले अधिक निर्यात कोटा व आयात शुल्क में छूट का लाभ मिलता है। वह देश दूसरे देशों की तुलना में ज्यादा कारोबारी छुट हासिल करता है उसे कई प्रकार की व्यापारिक रियायतें मिलने से वह अधिक निर्यात ऑर्डर प्राप्त करने में सफल हो जाता है। WTO के सभी सदस्य देशों को मुक्त व्यापार एवं बाजार से सम्बंधित नियमों का पालन करना जरूरी होता है पर MFN नियमों के अंतर्गत कुछ देशों को विशेष छूट दी जा सकती है।
भारत ने WTO बनने के एक वर्ष बाद सन् 1996 में पड़ोसी देश पाकिस्तान को MFN का दर्जा दिया था। जिसके अंतर्गत पाकिस्तान अनाज,सब्जियां,फल,लौह अयस्क,तैयार चमड़ा व कई दूसरी सामग्री कम आयत शुल्क पर भारत को भेजता था।भारत भी पाकिस्तान को खाद्य और दूसरी सामग्री कई प्रकार की ड्यूटी में छूट देकर निर्यात करता था।
पहले 15 सितम्बर 2016 को जम्मू-कश्मीर के उरी में हुए आतंकी हमले के बाद भारत में यह मांग उठी थी कि पाकिस्तान से MFN दर्जा छीन लिया जाय। अब फिर 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले के बाद भारत ने कठोर कदम उठाते हुए पाकिस्तान से MFN का दर्जा छीन लिया है। जिससे अब भारत ने पाकिस्तान द्वारा निर्यातित सामान पर  सीमा शुल्क बढ़ा कर 200% कर दिया है।
(दिनांक 16-02-2019 को अंतिम बार अपडेट किया गया)


सोमवार, 26 सितंबर 2016

फेरा और फेमा कानून FERA & FEMA

FERA - Foreign Exchange Regulation Act
FEMA -Foreign Exchange Management Act



- फॉरेन एक्सचेंज रेगुलेशन एक्ट FERA -


FERA कानून को 1973 में संसद की मंजूरी मिली थी और 1 जनवरी 1974 को यह अस्तित्व में आया। फेरा कानून भारत में पंजीकृत देशी और विदेशी दोनों संस्थाओं व कंपनियों पर लागू होता था। फेरा आपराधिक श्रेणी का कानून था। इसके नियम इतने सख्त थे कि भारत में इसका उल्लंघन करता कोई पकड़ा गया तो उसे जेल भी जाना पड़ सकता था। इसलिए बड़े उद्योगपतियों व विदेशी व्यापारियों के बीच इस कानून का भय छा गया जिसका प्रभाव विदेशी मुद्रा भंडार व आयत-निर्यात पर पड़ने लगा। नतीजतन 1999 के शीतकालीन सत्र में फेरा की जगह फेमा लाने पर सहमति बनी और 01 जून, 2000 को फेरा के निरस्त होते ही फेमा अस्तित्व में आ गया। फेरा में जहां कोई मामला आपराधिक श्रेणी में आता था और सजा का प्रावधान था, वहीं फेमा एक उदार, विकासोन्मुखी और दीवानी या सिविल कानून है जिसमें नागरिक अपराध के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है। इसलिए इसमें सजा नहीं, सिर्फ जुर्माने का प्रावधान है। फेरा इसलिए भी विवादित माना गया, क्योंकि इसके तहत मुकदमा दर्ज होते ही आरोपी दोषी माना जाता था और उसे ही यह साबित करना होता था कि वह कुसूरवार नहीं है, जबकि अन्य मामलों में दोष साबित न होने तक आरोपी निर्दोष माना जाता है। फेरा के स्थान पर फेमा कानून लाने के पीछे मुख्य उद्देश्य यह था कि देश के विदेशी विनिमय बाजार और व्यापार को अधिक से अधिक सरल बनाया जाए। ऐसा हुआ भी, और इससे देश में विदेशी भुगतान और व्यापार को खूब बढ़ावा मिला। इसके माध्यम से फॉरेन एक्सचेंज (विदेशी विनिमय) से संबंधित सभी कानून को एक करने और उन्हें संशोधित करने में भी सरकार को सफलता मिली।
चूंकि फॉरेन एक्सचेंज बढ़ाना था, लिहाजा इसके कई प्रावधान विदेशी व्यापार को बढ़ावा देते हैं। इसके सेक्शन 2 के अनुसार, भूटान, बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, अफगानिस्तान, चीन और ईरान के निवासी भारत के किसी भी हिस्से में कोई स्थायी संपत्ति या अचल संपत्ति तो नहीं खरीद सकते, पर खेती के लिए या बगीचे के लिए उसका स्थानांतरण जरूर कर सकते हैं। वह किसी भी संपत्ति को महज पांच वर्ष के लिए लीज पर ले सकते हैं, वह भी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की अनुमति मिलने के बाद। कानून यह भी कहता है कि कोई व्यक्ति अपने साथ अधिकतम 5,000 अमेरिकी डॉलर और इतने के ही साज-सामान ले जा सकता है। यदि इससे अधिक विदेशी मुद्रा या सामान ले जाना होता है, तो उस यात्री को इस बारे में पहले कस्टम अधिकारियों को सूचना देनी होती है। फेमा भारत के बाहर रहने वाले भारतीय नागरिक पर लागू नहीं होता।
फेमा में केवल अधिकृत व्‍यक्तियों या एजेंसी को ही विदेशी मुद्रा या विदेशी प्रतिभूति में लेनदेन करने की अनुमति दी गई है। अधिनियम के अंतर्गत, ऐसे अधिकृत व्‍यक्ति या एजेंसी का अर्थ अधिकृत डीलर, मनी चेंजर, विदेशी बैंकिंग यूनिट या कोई अन्‍य व्‍यक्ति जिसे उसी समय रिजर्व बैंक द्वारा प्राधिकृत किया गया हो, से है।

फेमा का मुख्यालय -

 फेमा का मुख्यालय प्रवर्तन निदेशालय अर्थात Directorate of Enforcement डायरेक्टरेट ऑफ़ एनफोर्समेंट कहलाता है, जो नई दिल्ली में है। इसके अलावा इसे पांच जोनल ऑफिस में भी बांटा गया है, जो दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और जालंधर में है। जोन को भी सात सब जोन में बांटा गया है। सब जोन की जिम्मेदारी जहां सहायक निदेशक संभालता है, वहीं प्रवर्तन निदेशालय का मुखिया निदेशक कहलाता है।